प्रायिकता (Probability)

प्रयोग:
एक ऑपरेशन जो कुछ अच्छी तरह से परिभाषित परिणामों का उत्पादन कर सकते हैं उन्हें प्रयोग कहा जाता है।

रैंडम प्रयोग:
एक प्रयोग जिसमे सभी संभावित परिणामों को पहले से जाना जा सकता है किन्तु सही परिणाम की पहले से भविष्यवाणी नहीं की जा सकती उसे एक रैंडम प्रयोग कहा जाता है।

उदाहरण:
1.  एक निष्पक्ष पासे को फेंकना।
2.  एक निष्पक्ष सिक्के को उछालना। जब हम एक सिक्का उछालेंगे तब या तो एक चित  (Head या H ) या एक पट (Tail या T) प्रकट होता है।
3.  अच्छी तरह से  मिश्रित ताश के पत्तों के एक पैकेट से कोई एक पत्ता निकालना ।
4.  अलग अलग रंग की गेंदों से युक्त एक बैग से निश्चित रंग की एक गेंद उठा।

सैंपल स्पेस
जब हम एक प्रयोग करते हैं, तो सभी संभावित परिणामों के सेट S को  सैंपल स्पेस कहा जाता है।
उदाहरण:
1. एक निष्पक्ष सिक्के को उछालने में S = {H, T}
2 . यदि दो सिक्के उछाले जाएं तो S = {HH, HT, TH, TT}
3 .  एक निष्पक्ष पासे को फेंकने में S = {1, 2, 3, 4, 5, 6}.

घटना (Event)
सैंपल स्पेस के किसी भी सबसेट को एक घटना कहा जाता है।
• अगर घटना A और B एक साथ नहीं हो सकती तो उन दो घटनाओं को परस्पर अनन्य कहा जाता  है।
•  घटना A का घटित होना जब घटना B पहले से घटित हो चुकी हो, सशर्त प्रायिकता कहा जाता है। इसे P(A|B) द्वारा चिन्हित किया जाता है।
• किसी घटना के घटित होने की प्रायिकता का पूरक उस घटना के घटित न होने की प्रायिकता है । इसे P(A') द्वारा चिन्हित किया जाता है।
• अगर घटना A के घटित होने से घटना B के घटित होने की प्रायिकता बदलती  है, तो घटनाएं A और B निर्भर हैं। और अगर घटना A के घटित होने से घटना B के घटित होने की प्रायिकता नहीं बदलती है, तो घटनाएं A और B स्वतंत्र हैं।

महत्त्वपूर्ण सूत्र

• एक घटना के घटित होने की प्रायिकता :

जब सैंपल स्पेस S में घटना E के सभी अनुकूल परिणामों की संख्या को कुल परिणामों की संख्या से विभाजित किया जाता है, वह किसी घटना E के घटित होने की प्रायिकता को दर्शाता है।  इसलिए
P(E) =    n(E)/n(S)
• सैंपल स्पेस S में घटना E के न होने की प्रायिकता को निम्नानुसार दर्शाया जाता है।
P(E') = 1 - P(E) = 1 - [n(E)/n(S)]
• एक बिल्कुल निश्चित घटना की प्रायिकता है 1
P(S) = 1
• किसी भी घटना की प्रायिकता सदैव 0 और 1 के बीच होनी चाहिए।
0 ≤ P(E) ≤ 1
•  एक असंभव घटना की प्रायिकता शून्य है।
P(Φ) = 0
• घटना A या घटना B  होने की प्रायिकता है कि घटना A  घटित हो  Plus घटना B  घटित हो  Minus A एवं B  दोनों घटना परस्पर घटित हों।
P(A ∪ B) = P(A) + P(B) - P(A ∩ B)
गुणा का नियम: गुणन के नियम की महत्ता दो घटनाओं के परस्पर होने की प्रायिकता निकालने में  हैं, यानी ऐसी स्थिति कि घटना A और घटना B दोनों घटी हों।
घटनाएं A और B दोनों घटित होने की प्रायिकता है कि घटना A घटी हो गुणा घटना B घटी हो, जब घटना A पहले से घट गयी हो।
P(A ∩ B) = P(A) P(B|A)